जैसा कि हम जानते हैं कि हमारा Topic है "भारतीय संस्कृति पर आधुनिकता का प्रभाव ( Effects
of modernity on the Indian Culture)" तो चलिए हम पहले यह जानने की कोशिश करते हैं कि 'संस्कृति' और 'आधुनिकता' क्या है? उसके बाद हम इसके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
संस्कृति(Culture)
- संस्कृति उस शब्द का नाम है जिस पर हमारा रहन-सहन, खान-पान , वेश-भूषा तथा सोचने समझने का तरीका निर्भर करता है। अर्थात हम यह कह सकते हैं कि हमारे समाज व देश के बुद्धिजीवियों द्वारा बनाया गए व्यक्तिगत नियम कानून का नाम ही संस्कृति है।
दूसरा शब्द है- आधुनिकता (Modernity)
- आधुनिकता वह प्रक्रिया है जिसमें हम अपने समाज में प्राचीन काल से चले आ रहे नियम व कानून में किसी विकसित राष्ट्र व समाज का नकल करके अथवा खुद से बनाए हुए नये बदलाव के द्वारा परिवर्तन लाते हैं। आधुनिकता से हमारे हमारे समाज में अधिक रूप से वो परिवर्तन होते हैं जो किसी न किसी रूप में पहले की व्यवस्था से अधिक अच्छे होते हैं।
एक तरह से हम कह सकते हैं कि आधुनिकता से ही हमारा विकास होता है लेकिन इन परिवर्तनों के कारण हमारी संस्कृति पर कुछ side effects पड़ते हैं ,उसी का हमें Analysis करना है,तो चलिए देखते हैं...
हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न प्रकार के तत्व आते हैं यहां हम उनमें से कुछ महत्वपूर्ण तत्वों का Analysis करेंगे जो हमारे जीवन के अस्तित्व से जुड़े हुए हैं।
1- भाषा (Language)
भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते हैं। भाषा के दो पहलू होते होते हैं, पहला हम किस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं,और दूसरा हम भाषा का इस्तेमाल किस ढंग से कर रहे हैं हमारा Manner कैसा है अर्थात् हमारा व्यवहार कैसा है वह Person जो हमसे बड़ा है उससे हम कैसे Behave करेंगे,और जो छोटा है उससे कैसा...ये हमारी संस्कृति कहती है लेकिन अब क्या है? अब हम सिर्फ सामने वाले का Level देखते हैं और उसके अनुसार व्यवहार करते हैं बल्कि हमें करना ये चाहिए कि हम सभी को सम्मान की दृष्टि से देखें , अच्छा व्यवहार करें उसके कद और पद के अनुसार नहीं, क्योंकि अगर हम सम्मान पाने की शौक रखते हैं तो सम्मान देने की शौक अवश्य ही रखनी होगी। अब तो ये आलम है कि ये देखने को मिलता है कि अपने किसी छोटे भाई-बहन से बात कर रहे हैं... हां! कैसा है तू ,कब आएगा तू, परीक्षा में कितने अंक मिले तेरे को… ऐसी भाषाओं का इस्तेमाल करते हुए हम देखते हैं और ऐसा करने में फ़क्र भी महसूस करते हैं।
2- धर्म (Religion)
धर्म वह माध्यम है जिस पर बने नियमों और कानूनों द्वारा हम अपने आप को समाज में व्यवस्थित करते हैं। जहां तक मेरा अपना मानना है कि धर्म पर आधुनिकता का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। प्राचीन काल में धर्म के द्वारा हम अच्छे कार्यों, आदतों, रहन-सहन, व्यवहार जैसे जीवन के उन महत्वपूर्ण तत्वों को अपने अंदर समाहित करते थे जो हमें पूरा जीवन लाभ देते थे हमें ही नहीं बल्कि हमारे आस पास गुजरने वालों को भी इसका लाभ मिलता था। और अब क्या है ? धर्म ही वह सबसे ख़तरनाक हथियार बनाया जा चुका है जो सारी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
धर्म की आड़ लेकर पूरे World में Terrorism
फैलाया जा रहा है और धर्म की आड़ में बाबा रामरहीस और आशाराम बापू जैसे Corrupted
लोग देश के लिए दीमक से भी खतरनाक कीड़े जैसा रूप ले रहे हैं। और धर्म के ही नाम पर हमारे मुल्क के रहनुमाओं की सत्ता चलती है इन्हें भी और कुछ नहीं मिलता। जिस दिन हमारे देश के रहनुमा Literate हो जाएंगे उसी दिन से हमारे देश की तरक्की रफ्तार पकड़ेगी। और भारत एक ऐसा देश है
जहां धर्म को सबसे पहले तरजीह दी जाती है और इसी में हम व्यस्त हो जाते हैं और इतना
अधिक व्यस्त हो जाते हैं कि हम उन महत्वपूर्ण कार्यों को तरजीह नहीं देते जो धर्म से
भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
England देश का Great Novelist "Aldous Huxley" भारत आया और यहां घूमा पूरे देश का Analysis
किया और उसके बाद उसकी "कलम" उठी, याद रखिए बुद्धिजीवियों की कलम उसी पर उठती जो या तो बहोत अच्छा हो या बहोत बुरा। उसकी "कलम" उठी वह बनारस में बैठा था , उसने लिखा कि यहां के लोग चार-चार घंटे का वक्त सुबह की पूजा करने में लगा देते हैं अगर यही समय में अपने बच्चों को बैठाकर शिक्षा देते तो शायद अपने देश का कुछ भला कर देते। तो हमें धर्म को लेकर बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब धर्मों में वो बात नहीं रह गयी जो पहले थी ,अब सभी इसे केवल कमाने-खाने का जरिया बना लिए हैं चाहे वो कोई "बाबा जी" हों या "मौलवी साहब"। कोई भी धर्म और उनमें बताए गए नियम कानून गलत नहीं हैं बल्कि जो उनके मठाधीश
हैं वो सब कुछ बर्बाद कर दिए।
"ताबीज़ में कुरआं बिकता है,
मंतर भी खरीदा जाता है,
मुल्लाओं के सज़दे बिकते हैं,
पंडित के भजन बिक जाते हैं।"
"ताबीज़ में कुरआं बिकता है,
मंतर भी खरीदा जाता है,
मुल्लाओं के सज़दे बिकते हैं,
पंडित के भजन बिक जाते हैं।"
3-भोजन (Food)
भोजन के विष्लेषण में कुछ लिखने और कहने की जरूरत नहीं है इसके बारे में तो आप सबको मालूम ही है। हमें यह देखना है कि Changes
क्या आए हैं इसमें। पहले क्या होता था अपने अपने खेत से प्राप्त अन्न तथा हरी सब्जियां अपने भोजन में लेते थे किसी पर निर्भर नहीं था कोई। धीरे धीरे नगरीकरण होना प्रारम्भ हुआ और जनसंख्या बढ़ने से खेतों में भी कमी आई जिससे Dependency घर करने लगी और हमें जैसा भी मिलने लगा उसे स्वीकार करने लगे और हमारे खान पान का ढंग बदला और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी जन्म हुआ। और आज की हालत और ही खस्ता हो चुकी है आजकल मार्केट में हमें Junk
food देखने को मिलते हैं जोकि हमारे मुख के लिए तो वाह वाह हैं लेकिन स्वास्थ्य के लिए हाय हाय का नाम बनते हैं। तो हमें चाहिए हम अपना कुछ समय इस पर विचार करने में खर्च करें।
4-उत्सव,समारोह (Celebration)
उत्सव अथवा समारोह का सीधा संबंध Happiness
यानी ख़ुशी से है। यह उत्सव किसी त्यौहार का हो सकता है, किसी शुभ कार्य का हो सकता है तथा किसी व्यक्तिगत खुशी का हो सकता है जिसका Presentation
बड़े धूम-धाम और "दिल" से किया करते है या किया करते थे? शक हो रहा है हमें यह कहने में।
क्योंकि अब सब कुछ मात्र दिखावा बनकर रह चुका है हम रहते तो हैं उस उत्सव में लेकिन मन कहीं और। पहले लोग इकठ्ठा होते थे और दिल से गले मिलकर अपनी अपनी खुशियों का इजहार किया करते थे,और अब क्या है... पहली बात तो उतना Collection
नहीं बन पाता दूसरा…उतना तवज्जो उस लम्हे को नहीं दी जाती जितनी उसको Store करने में Priority दी जाती है। चार लोग आए , उत्सव हुआ Priority किस पर देनी है फोन और कैमरा ले लो , फोटोज क्लिक कर लो और सोशल मीडिया पर शेयर करो । Happiness उनके साथ नहीं बांट पाएं जो सामने रूबरू हुए, बल्कि उनसे साथ बांटते हैं जो Online
हैं।
5-कपड़े और पहनावे (Clothes & Dresses)
हमारे Indian Culture के According
हमारे Dresses
हैं - कुर्ता-पायजामा, कुर्ता धोती, साड़ी, सूट-सलवार। पहले हम भारतीय इन सभी ड्रेसेज का प्रयोग किया करते थे जो आसानी से हमारे देश में मिल भी जाता था और व्यय भी कम करना पड़ता था जिससे हमें आसानी होती थी। और अब क्या है अब Short Dresses आ गए हैं- Shirt,
T-SHIRT, Jeans,Top जो हमें अधिक व्यय करने से प्राप्त होते हैं। और हमारी संस्कृति पर भी खासा असर पड़ता है।
6-चुटकुले और कहानियां (Jokes & Stories)
हमें मालूम है कि इसके बारे में सब जानते हैं। पहले क्या था ??? हम किताबों का अध्ययन अधिक करते थे विभिन्न प्रकार की प्रेरणादायक कहानियां पढ़ते थे और अपना एक व्यक्तिगत समय होता था जब परिवार के सभी सदस्य एकत्र होते थे और किसी विषय पर विष्लेषण किया जाता था और बूढ़े-बुजुर्गों द्वारा किस्से कहानियां सुनने को मिलती थी जिससे हमें Positive
Knowledge मिलती थी और कुछ नया सीखने को मिलता था। और अब क्या है हम साथ होते हुए भी साथ नहीं होते। चुटकुले और कहानियों का माध्यम किताबें और घर-परिवार न होकर Social Media हो गयी है । जहां पर ऐसे Jokes आ रहे हैं जिनका Teen
Agers का Mind
Divert करने में खास योगदान हो रहा है।
उपसंहार
(Conclusion)
नतीजतन जो मेरा निष्कर्ष निकलता है आधुनिकता कोई बुरी प्रक्रिया नहीं है ये Law of
Nature है। ये होना तय है और इसे रोका भी
नहीं जा सकता,और यह होना आवश्यक भी है अगर हम तरक्की करना चाहते हैं तो...
But हमें Analysis
इस Fact का करना है कि Problem
कहां से Create
हो रही है??? अगर हम इस पर Meditation करते हैं तो हमें Result में ये मिलता है कि ये जो आधुनिकता नाम की चीज है ये हमारी खुद की नहीं है जो हम स्वीकार करते चले आ रहे हैं ये हमारे खुद के नहीं है। क्योंकि हम हिंदी और उर्दू से ज्यादा अहमियत English Language को दे रहे हैं हमारी मजबूरी भी है क्योंकि ये अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बन चुकी है,हम जो पहनावे अपना रहे हैं वो हमारे अपने नहीं,हम जो Foods
varieties स्वीकार कर रहे हैं ये हमारे अपने नहीं क्योंकि ये उस संस्कृति के अनुसार हैं जहां इनका निर्माण हुआ और हम अपने यहां इसका उपयोग कर रहे हैं तो Side
Effect पड़ना लाजमी है।या तो हम Self
Maker बनें ,हम
ऐसी संस्कृति बनाएं ऐसे Changes Create करें जो हमारे
संस्कृति के According हो , शायद गांधी जी ने इसीलिए अपने हाथों में चरखा उठाया था , लेकिन अब बहोत देर हो चुकी है अन्य संस्कृतियों को स्वीकार करते करते। अब हमें इसे Manage करना होगा कैसे भी करके । करना क्या है एक उदाहरण के जरिए बताने की कोशिश करता हूं जो मेरा खुद का मानना है...
आधुनिकता उस चिड़िया का नाम है यदि हम उसके ऊपर बैठकर उड़ना चाहें तो हमारी दस्तार यानी पगड़ी उड़ने का डर है और यदि हम उसकी पूंछ पकड़कर उड़ना चाहें तो वह इतना मजबूत नहीं कि हमारे भार का सहन कर पाए,अब हमें सोचना ये है कि कब हमें क्या करना है ??? और हमें कोशिश यही करनी होगी कि अधिक से अधिक हम ऊपर बैठकर उड़े, इसको करने के लिए अपनी पगड़ी मजबूत बनानी पड़ेगी और पगड़ी को मजबूत बनाने का केवल एक मात्र हथियार हमारे पास है... और वो है Education
(शिक्षा) जिससे हमारे अंदर सही फैसला लेने की ताकत पैदा हो सके।
Weldon
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