NSS || राष्ट्रीय सेवा योजना || एक झूठा वादा

National Service Scheme [NSS] राष्ट्रीय सेवा योजना
                                                                              - जैसा की नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि इस योजना के अंतर्गत आकर हम सभी अपने राष्ट्र की सेवा करने के काबिल बन जाते हैं,राष्ट्र की सेवा करने के लिए हमें किसी योजना की जरुरत नहीं होती और होनी भी नहीं चाहिए लेकिन अगर ये सेवा हमें सरकार हमारे  कॉलेज अध्ययन  के साथ देती है तो हम सबका कर्तव्य बनता  है कि हमें इसका एक प्रभावी हिस्सा बनना चाहिए राष्ट्र की युवा शक्ति के व्यक्तित्व विकास हेतु कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित सक्रिय कार्यक्रम का नाम इसको दिया गया है, इसके गतिविधियों में भाग लेने वाले विद्यार्थी समाज के लोगों के साथ मिलकर समाज के हित के कार्य करते हैं,जिसमे साक्षरता सम्बन्धी कार्य ,पर्यावरण सुरक्षा,स्वास्थ्य एवं सफाई अपपतकालीन या प्राकृतिक आपदा के समय पीड़ित लोगों की सहायता आदि आते हैं जिससे विद्यार्थी जीवन से ही समाजोपयोगी कार्यों में रत रहने से हम  विद्यार्थियों में समाज सेवा या राष्ट्र सेवा के गुणों में विकास होता है
                                                                               अभी  तक मैंने इसके सकारात्मक उद्देश्य का विवरण रखा अब बारी आ गयी है चलिए देखते हैं कि ज़मीनी स्तर पर इसका क्या हाल है ???
हम विद्यार्थियों के जीवन में चीजों और दुनिया की तमाम उलझनों और उपायों  को समझने, दुनिया को अपने अनुसार देखने  का उद्देश्य का विकास स्कूल अथवा कॉलेज ही होता है,अगर कॉलेज शिष्टाचार सिखाता है तो हम शिष्टाचार सीखते हैं अगर कॉलेज भ्र्ष्टाचार सिखाता है तो हम वो सीखते हैं, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कॉलेज हमें कुछ सिखाना  चाहता है और हम कुछ दूसरा सीख लेते हैं वहां पर कॉलेज और संस्थान की कोई जिम्मेदारी नही होती वो हमारी जिम्मेदारी बनती है। लेकिन वहीं अगर ऐसा कुछ होता है कि हमारा कॉलेज हमें सारी व्यवस्थाएं होने के बावजूद भी जीवन के  कुछ जरूरी हिस्से सिखाने में असमर्थ मिल रहा तो ये हम विद्द्यार्थियों के लिए ही मंथन करने  का विषय नहीं है बल्कि हमारे जिम्मेदार अध्यापकों और समाज के बुद्धिजीवियों के लिए भी मंथन करने और  सोचने का विषय है । अगर एक कॉलेज अपने विद्द्यार्थियों को उनके तैयार होने के बावजूद,आवश्यक धनराशि दे देने के बाद  भी  राष्ट्रीय सेवा योजना जिसे एनएसएस के नाम से जाना जाता है को ना  दे पा रहा हो तो उसे क्या सोचा या समझा जाय - भ्रष्टाचार या हम सब पर अत्याचार ???
हमारे कॉलेज से  ही यह शिक्षा दी जाती है की यदि कोई भी किसी सरकारी कार्यों को करने में समर्थ हो और उसका लाभ उसके लाभार्थी को न देकर सिर्फ खुद उठाये तो उसे भ्रष्टाचारी कहा जाता है और कहना चाहिए लेकिन मैं तो कह भी नहीं  रहा, मै पूछ रहा हूँ आप सबसे, अपने कॉलेज से , अपने उस्तादों से कि आखिर हम सबको इसे क्या समझना चाहिए, क्या इसका जवाब हम सबको कोई दे पाने में सक्षम है??? अगर हाँ तो दीजिये हम तैयार हैं आपके जवाब और सुझाव को ध्यान लगाकर सुनने के लिए , हम सबको तैयार हुए कितने दिन हो चुका लेकिन हमारे साथ यही विडंबना है कि कोई भी बताने को तैयार ही नहीं है।अगर हम सबको ये सुविधा नहीं दी जा रही तो इस योजना का क्या  फायदा हमें मिलता है हमारे द्वारा अदा की गयी धनराशि जो हमें अभिभावकों द्वारा मिलती है  उसका क्या मतलब निकलता है ,हमारे वतन के बुद्धिजीवियों द्वारा देखे गए ख़्वाबों का क्या मतलब निकला है, गांधी जी द्वारा देखे गए सपनों  का क्या मतलब निकलता है ,अपनी रोटी सेंकने के लिए सभी  सरकारों  द्वारा किये गए वादों का क्या मतलब निकलता है,हमारे द्वारा देखे गए ख़्वाबों का क्या मतलब निकलता है ?आखिर कैसे हम सब इस योजना के उद्देश्यों को पूरा करें जो इसमें निहित हैं ,कैसे हम अपने व्यक्तित्व का विकास करें,हम कैसे समाज में मिलकर समाज के हित में कार्य करें ,साक्षरता सम्बन्धी कार्य ,पर्यावरण सुरक्षा ,पीड़ित लोगों की सहायता कैसे करें जो इस योजना का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। हम सबमें राष्ट्र सेवा के गुण कैसे विकसित हों ? हम सब अपने वतन की अहमियत नहीं समझ पा रहे की आपकी नज़रों में क्या है। क्या यही भ्र्ष्टाचार है ? हम सब क्या समझें आपकी इस चुप्पी को जिसका इन्तजार करते करते सत्र समापन की ओर है
शायद हमारा वतन इसी लिए अभी तमाम देशों के बहोत पीछे है और इसी तरह रहेगा भी अगर हम और आप  ऐसे ही चुप्पी साधे बैठे रह गए तो ,दुनिया आसमान चूम रही है और हम सब किस स्तर पर हैं ये कुछ नही पता क्योंकि यहाँ वास्तविक्ता से ज्यादा दिखावे पर जोर दिया जाता है जो हम सब विद्द्यार्थियों को अपने कॉलेजों द्वारा  आज देखने और सीखने को मिल रहा है।मै जानता हूँ  कि अब भी हमारे द्वारा इस लेख को लिखने में इतना समय खर्च  करने के बाद भी कुछ नहीं होने वाला लेकिन अगर हम पूरा सत्र एनएसएस के इन्तजार में बिता दिए तो क्या दस मिनट  ब्लॉग लिखने में नहीं खर्च कर सकते,कर सकते हैं क्योंकि मैं जनता हूँ कि हमारे बोले और आपसे कहे गए शब्द आपके द्वारा कान लगाकर सुने गए कि नहीं मैं नहीं जानता लेकिन लेकिन मैं आज जो लिख दे रहा हूँ ये सदियों गुजर जाने के बाद भी मेरे ब्लॉग पर रहेगा और दुनिया देख सकती है मेरे द्वारा लिखे गए शब्दों को और  मेरे लिखे गए शब्द चीख चीख कर ये बयां कर रहे हैं कि हम प्यास से जूझ रहे हैं  और किसी विद्वान ने ही कहा है शब्दों में बहोत बड़ी ताक़त होती होती है और अगर लिख दिया जाए तो उसकी ताक़त दोगुनी बढ़ जाती है। और यह भी प्रमाण हो जाता हो जा रहा है कि आपकी चुप्पी के बाद भी हमने कितनी कोशिशें की 
शायद हमारा वतन और आगे होता अगर हमरी आवाजों और बातों को आप सब कान लगाकर सुने होते तो।हमे अपने साथ साथ  अपने वतन ,अपने देश ,अपने कॉलेज की फ़िक्र है इसलिए ये सच लिखने पर मजबूर होना पड़ा   कि हमें एनएसएस की सेवाएं नहीं मिल रही हैं और आपके द्वारा हम सबसे और देश से किया गया वादा एनएसएस(राष्ट्रीय सेवा योजना) एक झूठा वादा है

           "ये ऐसा सच है जिसे हर झूठे से झूठा बोल सकता है"

 उम्मीद है आप भी इसको पढ़कर अपने देश के हित कुछ क़दम उठाने या  कुछ करने की कोशिश करेंगे!!!
धन्यवाद ! शुक्रिया !
©SakibMazeed

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