Allahabad Name change Matter ~ Allahaabad or Prayagraj | इलाहबाद या प्रयागराज : नामकरण


इलाहाबाद ः गंगा जमुनी तहजीब का शहर

उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले शहर इलाहाबाद के लेख में आपका स्वागत है।

इलाहाबाद एक ऐसा शहर जहां पर दो नदियों गंगा और यमुना   के मिलन से सरस्वती का जन्म होता है और जिसे संगम के नाम से जाना जाता है।जिसे मुग़ल सल्तनत के कारनामों के लिए जाना जाता ,जिसे मुग़ल बादशाह अकबर महान के कारनामों के लिए जाना जाता है ... कहते हैं इलाहाबाद शहर को प्रयाग नाम से जाना जाता था। बाद में 1575 में  मुगल बादशाह अकबर महान यहां आकर अपना राज्य स्थापित किए और नाम बदलकर प्रयाग से इलाहाबाद रख दिए। और इसी के आधार पर  अब कुछ नफरत में पगलाए  हुए लोग निकल आए हैं जो इस नाम को बदलना चाहते हैं। तो पढ़िए मेरा ये स्पेशल ब्लॉग आखिरी तक... नहीं ये  सही तथ्य नहीं है कि अकबर ने प्रयाग का नाम बदला , प्रयाग तो अकबर के आने से पहले से था और और उनके बाद भी है । प्रयाग और इलाहाबाद दो रेलवे स्टेशन भी हैं इलाहाबाद में योगी आदित्यनाथ के आने से पहले।
तथ्य यह है कि अकबर ने संगम की रक्षा के लिए किले का निर्माण करवा करके एक नया शहर बसाया जिसका नाम इलाहाबाद रक्खा उन्होंने , जिसका मतलब होता "प्रभु का वास"। अकबर ने अगर नफरत की होती,आज के मुख्यमंत्री के जैसे- तो वह प्रयाग का नाम-ओ-निशान खत्म कर सकते थे लेकिन उन्होंने इस मुल्क की गंगा जमुनी तहजीब को बचाए रखा जो आज के जाहिलाना फैसलों के द्वारा खत्म किया जा रहा है।                                                               आज़ादी के बाद हमारे देश की एक बहुत बड़ी विडम्बना रही है कि हमारे देश को चलाने वाले लोगों में अधिकतर देश चलाने ,विकास करने ,गरीबी दूर करने , शिक्षा व्यवस्था सुधारने , आवाम को रोटी , कपड़ा,मकान देने की नीयत  से नहीं आते हैं, वो आते हैं नफरत फैलाने और देश में दंगा करवाने और ऐतिहासिक जगहों और सड़कों के नाम बदलने की नीयत से आते हैं। हमारे देश का जो इतिहास है उसका नाम और निशान मिटाने आते हैं,हमारे  देश की जो गंगा-जमुनी तहजीब है उसको ख़तम करने आते हैं,अगर ऐसा ही हाल रहा हमारे देश का तो क्या होगा ?
                                                                    ये कौन होते हैं ऐतिहासिक जगहों और सड़कों का नाम बदलने वाले लोग... क्या इसलिए आप नाम बदल रहे हो  कि इलाहाबाद का यह नाम  एक मुस्लिम विचारधारा का नाम है ,क्या आप इसलिए नाम बदल रहे हो कि इसका नामकरण अकबर के द्वारा किया गया ...अगर आप इसलिए बदल बदल रहे हो कि ये इलाहाबाद नाम अकबर ने रखा था तो  आपकी बहुत बड़ी भूल है,और आप थक जाओगे ऐसा करते करते कितना नाम बदलोगे आप ,कितनी यादें मिटाओगे मुगल सल्तनत की ,क्या क्या झुठलाने आए हो आप? नहीं कर पाएंगे आप ऐसा । चलिए हम मान लेते हैं एक पल के लिए कि अकबर ने नाम बदलकर इलाहाबाद रखा था। 
तो क्या आप अकबर की शख़्सियत के बराबर या ऊपर हो गए हो ? 
क्या अकबर महान ने जो जो  किया था आप करके दिखा सकते हो? 
क्या अकबर ने जो जो बनवाया और इस देश को दिया आप दे सकते हो?
कभी नहीं हमें तो नहीं लगता । आप तो उस रास्ते पर चल रहे हो ,जैसे जैसे हालात पैदा कर रहे हो कि ऐसा लगता है कि आप विकास के लिए नहीं विनाश के लिए आए हुए हो । अरे आवाम ने चुना है आपको उसका तो ख्याल रखो!!!
                                                         चलिए अब आपको  ये भी बता देते हैं कि आप क्यों अकबर महान के बराबर नहीं हो , आपको वो करने का हक नहीं है जो उनको था आप जबरदस्ती भले ही कर लो आपके हाथ में ताकत है आप कर सकते हो।
अकबर महान ने इलाहाबाद में कदम रखते ही 1575 में नदियों से बने संगम की हिफाज़त करने  के लिए एक किला बनवाया जो अब भी अपनी जगह पर मौजूद है आप जाकर जमीन पर देख सकते हैं या फिर नफरत फैलाने में इतना व्यस्त हो कि जाने का समय ना हो तो गूगल बाबा से पूछिए सब सच सच बताएंगे आपको!!!
और आगे सुनिए - आप तो सिर्फ नफरत फैलाते हो ना ? हिन्दू- मुस्लिम करवा कर ! आपने सोचा है कभी क्या अकबर भी ऐसे ही थे ? नहीं !!! 
बादशाह अकबर को अकबर महान  कहा गया! किले की खूबी सुनिए  - उस किले से होते हुए अंडरग्राउंड में पाटलिपुत्र मंदिर भी है जिसको राजा अकबर ने बचाव में रखा आंच तक नहीं आने दी।
और  उसी किले में एक गुप्त बरगद का पेड़ भी है जो हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है ।
और उसी बादशाह अकबर के बनवाए हुए किले में अशोक स्तंभ भी पाया गया जो आज देश के महान स्तंभ के रूप में जाना जाता है ।
कितनी खूबियां थी बादशाह अकबर के बनवाए हुए किले में अशोक स्तंभ भी पाया गया जो आज देश के महान स्तंभ के रूप में जाना जाता है ।
कितनी खूबियां थी बादशाह अकबर में। आपको तो बस नफरत फैलाना है  और मुगल शासकों को गद्दार बताना है। क्या आपने कभी ये एहसास किया कि मुगल साम्राज्य ने आपको क्या क्या दिया? कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जितनी भी जागीरें हैं, वो गवाह हैं इस बात की, कि देश के गद्दार वो नहीं थे, शायद गद्दार आपकी सोच है! आप ये नहीं देखे कि आगरा ,दिल्ली समेत कई अन्य मशहूर किलों के साथ बादशाह अकबर ने इलाहाबाद के हिस्से में भी एक किला रखा जो संगम की रक्षा करता है और आज भी देश की आर्मी उसी किले पे पहरा देकर संगम की और वहां के श्रृद्धालुओं की रक्षा करती है.. मेरे नयन गवाह हैं इस बात के मैंने ज़मीन पर देखा है जाकर ।
बस इलाहाबाद के हिस्से इतना ही नहीं रहा मुगल साम्राज्य के द्वारा ...
इलाहाबाद के लिए जहांगीर ने अपने बेटे की याद में एक बाग बनवाई जिसका नाम "खुशरो बाग" है। आइए देखिए कभी ये जागीरें, जो इतने सालों बाद भी आपको धन भी दे रही हैं और नाम भी , दुनिया में नाम कमा रहा है देश मुगल सल्तनत के जागीरों के द्वारा ........
                                                                  मैं तो इस लेख में समंदर का बूंद भी नहीं बता  पाया कि मुगल सल्तनत ने क्या क्या दिया है आपको... आप तो मुझसे भी ज्यादा जानते होंगे लेकिन आपको तो राजनीति करनी है  , आवाम में नफरत वाली बातें करके नफ़रत फैलानी है तो आप करिए साहब वो आपका काम है और ये हमारा काम , आप करिए और हम लिखेगे । आप थक जाएंगे एक दिन लेकिन ये कलम नहीं थकने वाली !!! इसका तो काम है लिखना है सिर्फ और लिखेगी और जो सच होगा वहीं लिखेगी हो सकता है हाथ बदला मिले आपको लिखने वाला लेकिन सच तो नहीं बदलता  ना........!!!
आप इलाहाबाद का नाम बदलने जा रहे हैं बदलिए आपके हाथ में ताकत है आप कर सकते हैं लेकिन मेरी एक बात याद रखियेगा  - आज "आप बदलेंगे तो कल फिर बदला जायेगा" क्योंकि इतिहास खुद को दोहराता है । आज आपकी हुकूमत है आप कर दीजिए , मै ये नहीं कह रहा कि आने वाले दिनों में मुस्लिम हुक़्मरान आपके काम को बदलेंगे नहीं लेकिन आज आप बदल रहे हो तो कल बदला जायेगा क्योंकि कल किसी सच्चे और अच्छे देशभक्त की भी हुकूमत चल सकती है।
हां! मै भी आपके इस नए नामकरण में शामिल हो जाता और आपके कंधे से कंधा मिलाकर इस काम को अंजाम देता इलाहाबाद का नाम बदलने में... अगर आप कुछ ऐसा कर देते इलाहबाद के लिए जो राजा अकबर महान के कार्यों से ज्यादा अहमियत का कार्य होता । तब मै भी आपका साथ देता । आप नहीं बन सकते अकबर महान !!! सोच बदलने की जरूरत है तो आप नाम बदल रहे हो ।
राजा अकबर महान ने किला बनवाने के बाद अपना चार महीने का वक्त भी दिया था इलाहाबाद को ! आप दे सकते हो ? राजा अकबर ने जो जो दिया इलाहाबाद को अगर आप उससे ज्यादा दे दो तब नाम बदलने के असली हकदार आप होते हो । लेकिन आप कभी नहीं दे सकते , आप कभी अकबर महान की बराबरी में नहीं आ सकते ,आप तो देखने में भी बहुत छोटे हो राजा अकबर से । 
नतीजतन इस पूरे लेख से यह सिद्ध हो जाता है कि इलाहाबाद का पुनः नामकरण नाजायज़ है।

जर्मन विद्वान वान नोयर के अनुसार -"बादशाह अकबर सभी दृष्टियों से एक राष्ट्रीय सम्राट है "

लोरेंस विन्यान के अनुसार - "एक शासक के रूप में अकबर की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि उनहोंने विभिन्न राज्यों का समूह ,विभिन्न जातियों तथा विभिन्न धर्मों को एक सूत्र में बांधा"

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के अनुसार - "उसमें एकीकृत प्राचीन भारत का स्वप्न पुनः साकार हो उठा ! ऐसा भारत जो राजनीतिक दृष्टि से केवल एक राज्य ही नही था,प्रत्त्युत ऐसे लोगों का समन्वित रूप था जो एकता के सूत्र में बंध चुके थे"

डॉक्टर स्मिथ के शब्दों में - "अकबर संसार के महानतम शासकों में उच्च स्थान पाने का अधिकारी है ,यह अधिकार उसे अपनी अलौकिक प्रतिभा,मौलिक विचारों तथा गौरवपूर्ण कार्यों  के आधार पर प्राप्त है"

Comments

  1. Badshah Akbar ek aisa shasak th jisne Hinduon pr lga dharmik kr "Jaziya kr" hta diya th jo uski Mahanta aur ekta ko darshata h ......aur ap h ki Allahabad k nam badlne chle hn...

    ReplyDelete

Post a Comment