Mob lynching & 49 Personalities including Anurag Kashyap || अनुराग कश्यप समेत 49 हस्तियां



पिछले कुछ सालों से भारत एक ऐसा देश बन चुका है जहाँ भीड़ फैसला करती है, जहाँ कुछ बेरोजगार लोगों की भीड़ इकट्ठी होती है और जिसको भी चाहती है गाय के नाम पर, चोरी के नाम पर, "जय श्रीराम नारे के नाम पर भीड़ के लोग इतना पीटते हैं- इतना पीटते हैं जब तक वह शख्स दम नहीं तोड़ देता और इस भीड़ का शिकार बन रहे हैं बेगुनाह मुसलमान और दलित। क्या लगता है कि भारत जो जिस चीज़ के लिए पहले जाना जाता था अब वह है? क्या हमारा देश वो रह गया है जिस गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए दुनिया में जाना जाता था? क्या हमारे देश के हर चौकीदार, हर प्रहरी सो रहे हैं जो इस तरह का खुलेआम नरसन्हार हो रहा है...? कोई बोलने को तैयार नहीं है, कोई खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है, मीडिया ढंग से अपना काम नहीं कर रही है, आखिर कौ लेगा इसकी जिम्मेदारी? किसी को कोई सजा नहीं हो रही है, उन तमाम लोगों को पुरस्कृत किया जाता है जो लिंचिंग के अपराधी हैं।
     हमारे समाज को एक नई दिशा देने में हमारे के भारतीय सिनेमा जगत की भी एक अहम भूमिका देखने को मिलती है जिससे हम बहुत कुछ सीखते हैं और दुनिया के स्तर पर खुद को सोचने पर मजबूर कर पाते हैं।
                 सिनेमा जगत और तमाम तरह की अन्य शख्सियतों ने मिलकर देश में हो रही लिंचिंग के खिलाफ़ देश के प्रधान सेवक को एक चिट्ठी लिखकर लिंचिंग के खिलाफ़ अपना विरोध जताया और बताया कि हम ख़िलाफ़ हैं इन आतंकियों से जो समाज में नफरत फैलाकर समाज को बांट रहे हैं, हम उनके साथ नहीं हैं जो ऐसे लोगों के साथ हैं, इन पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती? क्यों इनको सज़ा नहीं दी जाती? क्यों लिंचिंग के खिलाफ़ नया कानून नहीं लाया जा रहा है? क्यों ऐसे लोगों को आतंकवादी नहीं घोषित किया जा रहा है?
                            49 हस्तियों में एक नाम अनुराग कश्यप का भी है, वो कहते हैं कि अगर सरकार ऐसे लोगों को सजा नहीं दे पा रही, ऐसी घटनाओं को नहीं रोक पा रही तो हम बोलेंगे, सवाल पूछेंगे।
           समाज के जो कुछ असामाजिक तत्व हैं वो इन शख्सियतों पर सवाल उठा रहे हैं कि ऐसा क्यों?
मैं उनको जवाब देना चाहता हूँ- अगर आज आपके घर का कोई बच्चा, कोई शख्स लिंचिंग का शिकार हुआ होता तब भी आप सब ऐसे ही सवाल खड़ा करते?
कुछ लोग कहते हैं मुस्लिम आतंक जब हुआ तब कहाँ थे ऐसे लोग? मैं बताता हूँ- इतिहास गवाह है जब-जब इस देश में कोई गुप्त अटैक हुआ है तब-तब मुसलमानों को दोषी ठहराया गया और उनको सजा दी गयी, बहुत से बेगुनाहों को भी इसमें फंसाया गया, किया कोई और फंसाए गये देश के बेगुनाह मुसलमान, जो कई-कई सदियों तलक सलाख़ों के पीछे रहे और कोर्ट ने उन्हें बाइज़्ज़त बरी किया। पता तो अब चला कि कौन था असली आतंकवादी सदियों से हो रहे आतंकवादी हमलों का, अब तो साफ दिख रहा है, किसी गवाह की भी जरूरत नहीं है खुद विडियो बनाकर अपलोड कर रहे हैं आतंक मचाने वाले लोग!
               सलाम है अपर्णा सेन और अनुराग कश्यप समेत उन तमाम हस्तियों को जिन्होंने ऐसा पत्र लिखा जो समाज के लिए बेहद जरुरी था और खुलकर बिना डरे रिस्क लेकर सामने आए, आप सब वो लोग हैं जो समाज को बनाते हैं, आप जैसे लोगों को देश की तमाम बड़ी कुर्सियों पर बैठने की जरूरत है! मेरी दुआ है आप जैसे लोगों के लिए जो समाज की कुरीतियों के बारे में चिंता करते हैं, सलाम है!
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