बारिश आब की || Rain || mdshakibstar



हर जगह अगर बारिश हो रही हो, पनी की नन्ही बूंदें आपको हर क़दम पर मिल रही हों तो कहाँ से लिखना शुरू करेंगे आप! कहाँ से कहना शुरू करेंगे वो एहसास जो होता है ठंडी बूंदों की छुवन से , जो होता साथ में बहती पवन से, जो होता है उस बरसाती चमन से, जो मौसम के खुले और साफ बादलों की आब-ओ-हवा कहती है कैसे कहेंगे आप,कैसे लिखेंगे आप, कैसे महसूस करेंगे आप!
         जब बूंदों की बारिश होती है तो एक-एक बूंद अपने साथ वो मौसम लेकर आती है जहाँ से वह आती है, वो हवा लेकर आती है जिससे वह बनी है, वो दवा लेकर आती है जिस दवा को हम ले सकते हैं, अगर एक बूंद को हम अपने हाथों का सहारा देना चाहें तो वो बिखर जाएगी और अगर हम इसके उसी की रफ़्तार में जाने दें तो वह सरजमीं को चूमते हुए अपने उसी संसार के साथ मिलती हुई एक नयी दुनिया में समा जाएगी, और वो दुनिया ऐसी दुनिया होती है जो हर दुनिया के लिए एक खास दुनिया होती है, हो भी क्यों ना बूंदों से ही तो समंदर बनता है, अगर समंदर का अस्तित्व बूंदों के मिलने से बन जाता है तो जरा सोचिए अगर वही बूंदों के कई समंदर कभी मिल जाएं तो क्या मिलेगा दुनिया को?
              पानी के बूंदों की बारिश में जाइए और बारिश की बूंदों को खुद पर बरसने दीजिये और उन बूंदों के साथ उनसे मिलने वाली खुशियों से नहाइए जिससे मौसम नहा रहा होता है और दुनिया को खुशनुमा बना देता है। महसूस करिये उस खुशी को जो बारिश की बूंदों से मिलता है, महसूस करिये उस एहसास को बूंदों की छुवन से होता है, समा जाइए इस दुनिया के उस संसार में जहाँ भीड़ नहीं है, लोगों का आना जाना भी बहुत कम है, अपराध भी नहीं है वहाँ पर और कोई नियम कानून भी नहीं है!

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