मेरा पैग़ाम बिहार के नाम

 



            

सपनों की भीगी आंखों से,

हर थके हुए उन हांथों से,

जिनके हिस्से में दुनिया सारी,

भरी हुई है राखों से,


उन सबसे मेरा कहना है,

सारी बातों को नोट करो,

अब वक्त तुम्हारा आया है,

तुम घर से निकलकर वोट करो.


वोट करो उसको जो सक्षम हो देश को तरक्की दिलाने में!

वोट करो उसको जो साक्षर हो !

वोट करो उसको जो हिन्दू-मुस्लिम ना करे!

वोट करो उसको जो किसानों के साथ खड़ा हो!

वो करो उसको जो सरहद वाले जवानों के साथ खड़ा हो!

वोट करो उसको जो गरीबों के साथ खड़ा हो!

वोट करो उसको जो नफरत नहीं मोहोब्बत फैलाए!

वोट करो उसको जो चोर न हो!

वोट करो उसको जो गद्दार न हो!

वोट करो उसको जो आपके जैसा हो!

वोट करो उसको जो क़ातिल ना हो!

वोट करो उसको जो युवाओं का भला चाहे उनका गलत उपयोग ना करे!

वोट करो उसको जो विद्यार्थियों का भला चाहे!

वोट करो उसको जिसको बात करने की तम्मीज हो!

वोट करो उसको जिसका दिल बड़ा हो!

वोट करो उसको जो झूठा ना हो!

वोट करो उसको जो देश की भलाई के लिए जूझे!

वोट करो उसको जो जाहिल ना हो!

वोट करो उसको जो क़ातिल ना हो!

और हाँ...बिकना नहीं पैसे से, बिकना नहीं धन के आगे!!!

घर से निकलो... 

जाओ वोट करो!

जाओ चोट करो...सत्ताधारियों पर! 


उनपर जो तुम्हारे दिल को चोट पहुंचाए हैं जब उनका वक्त था। आज तुम्हारा वक्त है,आज तुम्हारा दिन है। अगर आज के दिन अपना काम नहीं करोगे तो अपने काम के लिए सत्ताधारियों की आंख से आंख मिलाकर सवाल कैसे पूछोगे? निकलो और शिद्दत से अपना फर्ज़ निभाकर आओ, अपना अधिकार जताकर आओ अपने वोटों की मार से उनकी आंखें खोलकर आओ जिनकी आंखें बौखलाहट में बंद पड़ी हुई हैं, जिन्हें लगता सिर्फ वो हैं उनको बताकर आओ कि... हम हैं!!!


©SakibMazeed

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