Hicky's Bengal Gazette:The first newspaper in India || हिक्की का बंगला गैजेट:हिंदुस्तान में पहला अख़बार
उस वक़्त 'Warren Hestings' बंगाल के गवर्नर हुआ करते थे और हिक्की अपने अख़बार में उनके और ब्रिटिश हुक़ूमत के तानाशाही रवैये के प्रति हमेशा बग़ावत के तेवर अपनाते थे तथा खुलकर लिखा करते थे जिससे हुक़ूमत की नज़र में वो हमेशा ही खटकते रहते थे.
James Augustus Hicky का अख़बार निस्पक्ष और बग़ावती पत्रकारिता की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण समाचार पत्र था जो भारत में बोलने की आज़ादी के लिए अंग्रेज़ों से जंगों का सामना किया. हिक्की के आलोचनात्मक तेवर की वजह से हर तरफ़ Bengal Gazette की चर्चा जल्दी ही जोर-शोर से शुरू हो गयी. एक बार हिक्की ने अपने अख़बार के एक लेख में हेस्टिंग्स की पत्नी MarianHestings और उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाते हुए उनके क्रियाकलापों पर सवाल खड़ा करने का प्रयास किया, साथ ही हुक़ूमत के प्रति झुकाव से इनकार कर दिया. इसका खामियाज़ा उनको इस प्रकार भुगतना पड़ा कि कुछ ही वक़्त में ये सुनने में आया कि Bengal Gazette का एक प्रतिद्वंद्वी अख़बार बाज़ार में आने वाला है जो कंपनी के द्वारा निकाला जाएगा, जिसका नाम था India Gazette.
इसके बाद हिक्की ने हुक़ूमत पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे मेरे बाग़ी तेवर के कारण सज़ा के तौर पर इस नये पत्र को बाज़ार में लाया गया है जो सरकारी ख़बरो और सरकार के गुणगान को अपने अख़बार का हिस्सा बनाता है. एक तथ्य और भी देखने को मिलता है कि जब India Gazette का प्रकाशन शुरू हुआ उसके तुरंत बाद उसी दिन हिक्की ने अपने अख़बार "Hicky's Bengal Gazette or Calcutta General Advertiser" से बदलकर "Hicky's Bengal Gazette or The Original Calcutta General Advertiser" रख दिया, इसको उन्होंने इस बात पर जोर देने के लिए किया कि उनके अख़बार का प्रकाशन पहले हुआ.
इसके कुछ समय बाद गवर्नर जनरल Warren Hestings के Supreme Council ने Bengal Gazette को डाक विभाग की सहायता देने से मना कर दिया और फिर हिक्की को अख़बार को बंटवाने में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन हिक्की ने कभी सरकार की आलोचना करने से परहेज़ नहीं किया और गवर्नर जनरल की तानाशाही, उनकी भ्रष्टाचारी नीतियों पर, बोलने की आज़ादी पर हमला करने का आरोप, न्यायलयों के न्यायमूर्तियों में भ्रष्टाचार तथा अनाथ बच्चों की फंडिंग में चोरी जैसे कई सामाजिक और आर्थिक मुद्दों बिलकुल निर्भीकता से जनता के समक्ष पेश करते रहे.
जिसकी सज़ा उन्हें ब्रिटिश हुक़ूमत के द्वारा दी गयी और जून 1781 में उच्चतम न्यायालय ने हिक्की को किसी मामले में दोषी करार देकर जेल भेजने का फैसला सुना दिया लेकिन हिक्की ने उसी जोश और खुद्दारी के साथ लिखते हुए अख़बार प्रकाशन जारी रखा. उन्होंने ना सिर्फ हुक़ूमत के ख़िलाफ़ आलोचना की बल्कि सामाजिक बुराईयों, समाज में स्त्रियों की स्थिति, गरीबों और हाशिये पर खड़े लोगों के अधिकारों जैसे मुद्दों पर भी मुखर रहे. पितृसत्तात्मकता तथा स्त्रियों के हालात पर बात की साथ ही एंग्लो-भारतीय महिलाओं के इस मौज़ू के लेख भी अपने पत्र में शामिल करते रहे. ये अख़बार सिर्फ अंग्रेजों में ही नहीं प्रसिद्ध हुआ बल्कि यह हिंदुस्तानियों को अपने अधिकार की ख़ातिर लिखने और आवाज़ उठाने का हुनर दिया.
उन्होंने सारी दुनिया में होने वाले युद्धों पर भी लिखा तथा जंगों को तरक्की के ख़िलाफ़ बताते हुए लेख लिखा, उनके ऐसे कामों की वजह से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल हुई, साथ ही London Courant, London Chronicle, Public Advertiser, British Evening Post और Lady Magazine जैसे कई ब्रिटिश अख़बारों तथा अमेरिका के New Gersy Gazette तथा Providence Gazette की ख़बरों का हिस्सा बने तथा उनके मज़मूनों को लफ़्ज़-ब-लफ़्ज़ छापा गया. उनके लेखों को फ्रांस के अख़बारों Journal Politique तथा Mercure de France और जर्मनी के Politisches Journal अख़बार में अनुवाद करके छापे गए. उस वक़्त Hicky's Bengal Gazette एशिया का एक मात्र समाचार पत्र था जो दुनिया में एशियाई ख़बरों का स्रोत हुआ करता था.
उनके कामों से ब्रिटिश हुक़ूमत मुसलसल ख़ौफ़ खाती रही और Bengal Gazette के दफ़्तर पर हमला करवाया गया तथा न्यायालय ने इस पत्र को दोषी ठहराते हुए 30 मार्च 1882 पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया, साथ ही उनके प्रिंटिंग प्रेस को India Gazette के हाॅंथों बेच दिया गया.
James Augustus Hicky अपने एक मज़मून में लिखते हैं_____"अंग्रेज़ी हुक़ूमत के अधिकारियों द्वारा भारत में जो लूट मचाई जा रही है उससे मैं आहत हूँ, मैं भी अन्य लोगों की तरह यह सब देखते हुए चुप नहीं बैठ सकता "
James Augustus Hicky के Lawyer 'William Hicky' ने लिखा___"People were happy to finally have a newspaper. Hicky tried to cover everything that might be important to Calcutta. He devoted many pages to Politics, world news and events in India. He encouraged people to write him letters and poem."
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