Eid Of India || हिन्दुस्तान की ईद || ہندستان کی ید

                                       

आप सभी को ईद की मुबारकबाद...

ईद-उल-फित्र आख़िरी रमज़ान को चाँद दिखने के बाद इस्लामिक हिज़री कैलेंडर के अनुसार दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन को मनाई जाती है। ईद पहली बार उस दिन मनाई गई थी जब इस्लाम मज़हब के संस्थापक हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जंग-ए-बद्र पर जीत हासिल कर अपना परचम लहराया था। और इसी दिन आप रसूलुल्लाह हज़रत मु.स.अ.व. मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे।

 

मुसलमानों के लिए ईद एक ऐसा मौका है जो तीस दिन के मुकद्दस महीने रमज़ान-उल-मुबारक के बाद आता है। ईद भाईचारे का पर्व है, ईद नफ़रत की धुंध पर मोहोब्बत का परचम लहराकर हर दिल में प्यार और खुशियाँ बाँटने का पर्व है। ईद की नमाज़ के बाद दुआ में उठने वाले तमाम हाँथ अपने घर (वतनरूपी चमन) और घर के सभी सदस्यों की सलामती की दुआ मांगते हैं। सुख-शांति और बरक़त के लिए ख़ुदा की बारगाह में जाते हैं।

 

ईद की नमाज़ सभी नमाज़ों की तरह सभी ईमान वाले एक साथ पढ़ते हैं। चाहे किसी सल्तनत का बादशाह हो या किसी झोपड़ी में रहने वाला फ़कीर, नमाज़ की सफ़ों में खड़े होने के लिए सबको कंधे से कंधा मिलाकर साथ में खड़ा होना पड़ता है। तमाम खूबियों में इस्लाम धर्म की एक विशेषता ये भी है कि यह मज़हब हमेशा बराबरी की बात करता है। ईद का त्योहार भी सबको साथ लेकर चलने का पैग़ाम देता है।

 

इस्लाम में ईद और रमज़ान का एक महत्वपूर्ण पहलू ज़कात भी है। जिसके तहत यह कहा गया है कि ईद से पहले हर मुसलमान का यह फर्ज़ है कि वह आर्थिक रूप से मजबूर और असहाय लोगों की मदद करे, उनको धन, भोजन, कपड़ा या गृहस्थी के सामान अपनी हैसियत के अनुसार दान के रूप में दे।

 

ईद-उल-फित्र को मीठी ईद भी कहा जाता है। ये मिठास सिर्फ सेवईंयों और तरह-तरह की मिठाईयों तक ही नहीं महदूद होती बल्कि हम अपने दिल की मिठास में इज़ाफा करते हैं। वो मिठास जो भूखों को खाना खिला सके, वो मिठास जो ज़रूरतमंदों की ज़रूरत को पूरा कर सके, वह मिठास जो पुराने गिले-शिकवों को भुलाकर सभी को गले लगा सके, वह मिठास जो समाज व पूरे मुल्क़ में मोहोब्बत और अमन का पैग़ाम दे सके, वह मिठास जो हर उस तिनके में जान ला सके जो अपने वजूद के लिए हर लम्हा जद्दोजहद करता है। ये ईद ऐसी हर प्रकार की मिठास का ज़रिया है जिसकी ज़रूरत मौजूदा दौर में पूरी दुनिया जहान को है।

 

वैसे तो ईद के इस त्योहार को सारी दुनिया जोश-ओ-ख़रोश के साथ बड़े ही शौक से मनाती है। हर जगह की ईद लगभग एक जैसी ही नज़र आती है लेकिन हिन्दुस्तान की ईद बिल्कुल अलग है। हिंदुस्तान की ईद इसलिए अलग है क्योंकि हमारा मुल्क़ बहुत ही रंग-बिरंगा है, दुनिया से बिल्कुल अलग है। दुनिया के अन्य सभी देशों की तुलना में भारत इंसानी नस्लों का सबसे धनी देश है। यहां पर हर धर्म और संस्कृति को मानने वाले लोग रहते हैं। इसी वजह से हमारे होने के वजूद से बनी लाइन ही दुनिया से बिल्कुल अलग होती है।

 

ईद के दिन जब हम नमाज़ पढ़ने के लिए मस्ज़िद की ओर जाने वाले रास्ते का रुख करते हैं तो मस्ज़िद तक पहुंचने और नमाज़ अदा करने के पहले अपने ग़ैर-मुस्लिम हमवतनों से दुआ-सलाम करते हुए जाते हैं। उन तमाम गलियों व समाजों से होते हुए गुज़रते हैं जहां हर वर्ग के लोगों का निवास होता है। नमाज़ से लौटकर घर आने के बाद मेरे दोस्तों शहबाज़,इब्राहीम,शमीम से मुलाक़ात होने में भले ही देर हो जाय लेकिन शुभम,शिवम और सचिन की ईद-मिलन में कभी देर नहीं होती। ये वह है हिन्दुस्तान और अन्य मुल्क़ों की ईद में जो हमें औरों से अलग बनाता है। हम जितनी खुशी से ईद मनाते हैं उतने ही उल्लास से दीपावली के चिराग़ भी जलाया करते हैं।

जिस तरह से एक ओर ईद मोहोब्बत, भाईचारे और दिलों की मिठास का पर्व है, उसी तरह दूसरी ओर दीपावली भी अज्ञानरूपी अंधकार को मिटाकर उजाला फैलाने का त्योहार है। हिन्दुस्तान को सोने की चिड़िया की संज्ञा दी गई, भारत की ईद और दिवाली को इस चिड़िया की दो आंखों के रूप में देखा जा सकता है।

 

मिल के होती थी कभी ईद भी दिवाली भी

अब ये हालात है कि डर-डर के गले मिलते हैं

आज के मौजूदा दौर में देश और सारी दुनिया में जो हालात हैं उन पर ये शेर बिल्कुल फिट बैठता है। महामारी का रूप ले लेने वाली Covid-19 नाम की इस वबा ने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। आज पूरी फ़िज़ाओं में ग़म है, और सपनों की हर आँखों में नमी महसूस की जा सकती है। आज ऐसा वक़्त आ गया है कि हम गले मिलने के बजाय दो गज़ दूरी के साथ ईद मनाएंगे, एक दूसरे के घर जाकर ईद-मिलन करने के बजाय वर्चुअल मीटिंग से ही काम चलाना होगा और हम घर पर रहकर अपने घर पर ही बनी सेवईंयाँ खाएंगे, जिससे हम कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मदद कर सकें।

 

वक़्त और हालात भले ही बुरे हों लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी है। पूरी हिम्मत के साथ इस मुश्किल दौर का भी सामना हम सब मिलकर कर रहे हैं और करेंगे भी। ये बात सही है कि रात थोड़ी ज़्यादा गहरी है लेकिन है तो रात ही न...रात के बाद सुबह आती ही है, सूरज निकलता ही है, किरणें भी छिटकती हैं और उजाला भी होता है। हमने बड़ी से बड़ी जंगें जीती हैं इसको भी जीतेंगे। हम पूरी ज़िंदादिली के साथ कोशिश करेंगे, जीत की कशिश पैदा करेंगे और विजयी भी होंगे...।

 - Sakib

 

 

 

Comments

  1. बस एक अल्फ़ाज़..."लाज़वाब"
    हिन्दुस्तान की ईद मुबारक हो 🇮🇳🤲

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  2. बेमिसाल...👏
    रंग_बिरंगे फूलों के बागान सी,
    हर बात निराली है "फिज़ा" हमारे मुल्क हिंदुस्तान की!
    "फिज़ा"महरोज़ ✍️🕊️

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  3. अल्लाह रंग बिरंगे बाग ( हिंदुस्तान) के फूलों ( हम सब ) को हमेशा खिलाए रखे ।
    ईद मुबारक ✨✨🌜

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  4. Iswer Kare sabhi aapke vicharon pe Amal kare .🇮🇳
    Eid Mubarak Bhai🌙

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