हम 1974 से हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इसका शुभ आरंभ स्वीडन का राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित दुनिया के सबसे पहले पर्यावरण सम्मेलन में हुई। पहले पर्यावरण सम्मेलन में हिन्दुस्तान के साथ कुल 119 देश शामिल हुए थे। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को पर्यावरण से संबंधित जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मुकर्रर किया था। लेकिन क्या 5 जून को सिर्फ जाकरूकता फैलाने भर से हम अपने पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों से मुक्त हो जाते हैं। ये ऐसा सवाल जिसे हर नागरिक को आज खुद से पूछने की ज़रूरत है। क्योंकि आज़ हमारा पर्यावरण चारों तरफ से प्रदूषित हो चुका है। ये हाल सिर्फ भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का है। पूरी दुनिया में तेजी से पैर पसार रहा प्रदूषण और बढ़ता तापमान सिर्फ मनुष्यों को ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों को भी नुकसान पहुँचा रहा है। आज विश्व स्तर पर सांस से संबंधी बीमारियाँ विकराल रूप ले रही हैं तो वहीं दूसरी ओर विभिन्न प्रजाति के जीव-जंतुओं के विलुप्त होने का खतरा सामने आ रहा है। ये ऐसी स्थिति है जिससे मुंह नहीं मोड़ी जा सकता।
प्रत्येक वर्ष पर्यावरण दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है और इस साल की थीम है पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली। पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से तात्पर्य है – शहरों और गाँवों को हरा-भरा रखना, पेड़-पौधे लगाना, जगह-जगह बगीचे बनाना, अपने जल स्रोतों जैसे नदियों व समुद्रों की साफ-सफाई वक़्त पर करते रहना।
हमको ज़िम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए इन बातों का ख़याल रखना चाहिए और अपने पर्यावरण को स्वच्छ और प्रदूषण-मुक्त बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए क्योंकि पर्यावरण हमसे नहीं, हम ही पर्यावरण से हैं।
धूप से लेकर छाँव तक, शहर से लेकर गाँव तक पर्यावरण को स्वच्छ और बेहतर बनाने की ज़रूरत है। आज के समय में पर्यावरण बुरी तरह दूषित हो चुका है। हमें उठना होगा, हमें जागना होगा और पूरी दुनिया के साथ मिलकर पर्यावरण की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सिर्फ आवाज़ ही नहीं बल्कि ज़मीनी स्तर पर असरदार कोशिश करनी होगी। हमें वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाना होगा, देसी और प्राकृतिक संसाधनों को वरीयता देनी होगी, भूमिगत जल का दोहन होने से बचाना होगा और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि पर्यावरण ही हमारी साँसों का, हमारे शरीर का और हमारी सेहत का आवरण है। पर्यावरण शुद्ध रहेगा तो हमारी सेहत अच्छी रहेगी, हमारी सेहत अच्छी रहेगी तभी हम एक स्वस्थ समाज की ओर अपने क़दम बढ़ा सकेंगे। अगर ये दूषित हो गया तो हमारी पूरी ज़िंदगी को दूषित होने से कोई नहीं बचा सकता।
©मोहम्मद साकिब मज़ीद
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